जम्मू और कश्मीर

Khalid Najeeb नक्शबंदी के दावे पर सरकार का बड़ा फैसला, क्या है नियमों के अनुरूप नहीं होने का सच?

जम्मू-कश्मीर सरकार ने सेवानिवृत्त सहायक अभियंता (AEE) श्री Khalid Najeeb नक़्शबंदी के दावे को कानूनी और लेखा विभाग की राय के बाद खारिज कर दिया है। मामले की जांच और समीक्षा में यह स्पष्ट हुआ कि उनके द्वारा प्रस्तुत दावा आवश्यक शर्तों और नियमों के अनुरूप नहीं है। विभाग ने कहा कि संबंधित विभागों की सिफारिशों और पिछले आदेशों के आधार पर इस दावे को मान्यता नहीं दी जा सकती।

इस मामले में, पहले से ही कानूनी और लेखा विभाग ने अपने विस्तृत उत्तर दिए थे। उनके अनुसार, दावे का कोई ठोस आधार नहीं पाया गया। यह मामला 20 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को निर्देश दिए थे कि वे मामले की समीक्षा करें और सुनिश्चित करें कि दावे सही और नियमों के अनुरूप हों। विभागीय जांच में पाया गया कि श्री नक़्शबंदी के दावे में कई तकनीकी और औपचारिक खामियां हैं, जिसके कारण इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

विभागीय निर्णय और प्रक्रिया

श्री नक़्शबंदी का दावा वित्तीय वर्ष 2005-2006 से संबंधित है। लेखा और कानूनी विभाग ने इसे ध्यानपूर्वक देखा और उनके दावे को आधारहीन पाया। इसके आधार पर, वित्तीय और कानूनी सिफारिशों के अनुसार जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस दावे को अस्वीकार कर दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी भुगतान या सुविधा के लिए नियमों का पालन अनिवार्य है और इस मामले में नियमों के अनुरूप कोई आधार नहीं था।

सरकारी आदेश और अंतिम निर्णय

अंतिम रूप से, जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने आदेश के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि श्री नक़्शबंदी का दावा मान्य नहीं है। वित्त विभाग और कानूनी सलाहकारों की सिफारिशों के आधार पर इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया गया। इस फैसले के अनुसार, अब आगे इस मामले में कोई वित्तीय भुगतान या लाभ प्रदान नहीं किया जाएगा। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मियों के दावे विभागीय नियमों और शर्तों के आधार पर ही माने जाएंगे।

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