Earthquake: पूरा हिमालय अब जोन 6 में शामिल, जम्मू-कश्मीर समेत सभी पहाड़ी राज्यों के लिए बढ़ा बड़ा भूकंप खतरा

Earthquake: भारत के सभी पहाड़ी राज्यों सहित जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड को अब भूकंप के अति उच्च जोखिम वाले जोन 6 में शामिल कर दिया गया है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने भूकंप जोखिम प्रतिरोधी संरचनाओं के डिजाइन के लिए जारी नए दिशानिर्देश 2025 में यह बड़ा बदलाव किया है। पहले इन राज्यों के जिले जोन 4 और 5 में विभाजित थे। विशेषज्ञों का कहना है कि अब पूरे प्रदेश में निर्माण से जुड़े कामों में और ज्यादा सतर्कता की जरूरत होगी।
नई तकनीक और शोध के आधार पर बना नया जोनिंग मैप
जम्मू के जियोलॉजिस्ट डॉ. युधवीर के अनुसार, हिमालय पर लगातार नए शोध हो रहे हैं। आधुनिक नेटवर्क, उन्नत डेटा टूल्स और नई तकनीकों के कारण विश्लेषण पहले की तुलना में अधिक मजबूत हुआ है। इन्हीं बदलावों को ध्यान में रखते हुए नया सेस्मिक जोनिंग मैप तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले राज्य के अलग-अलग जिले जोन 4 और 5 में थे, लेकिन अब नए मानकों को जोड़कर पूरे क्षेत्र को एक ही उच्च जोखिम वाले जोन 6 में डाल दिया गया है। यह प्रक्रिया वैज्ञानिक शोध और भूकंप के ऐतिहासिक रिकॉर्ड का हिस्सा है।

वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक ने बताया बड़ा परिवर्तन
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक विनीत गहलोत ने कहा कि पिछला भूकंप जोनिंग मानचित्र 2016 में जारी हुआ था और लगभग नौ साल बाद यह नया मानचित्र सामने आया है। इसके अनुसार अब सभी पहाड़ी राज्यों को जोन 6 में रखा गया है। इसका अर्थ है कि जम्मू-कश्मीर में भूकंप का जोखिम उत्तराखंड जितना ही गंभीर है। यह बदलाव बांध, पुल, सड़क, इमारत और मेगा प्रोजेक्ट्स जैसे बड़े निर्माण कार्यों में समानता लाएगा। पहले उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जोन 5 में सबसे अधिक जोखिम वाले जिले माने जाते थे।
हिमालय भूगर्भीय दृष्टि से समान: मिश्रित खतरा पूरे क्षेत्र में
श्रीनगर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के प्रमुख एमपीएस बिष्ट ने कहा कि भू-विज्ञान के स्तर पर पूरे हिमालय में बहुत अधिक अंतर नहीं है। यहां की चट्टानें, प्लेट सीमाएं और भूगर्भीय संरचनाएं लगभग समान हैं। पहले के जोनिंग में पूरे राज्य को दो हिस्सों में बांटा गया था, लेकिन अब इसे एक ही जोन 6 में रखकर इसकी संवेदनशीलता बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि भूकंप जोनिंग पिछले भूकंपों की तीव्रता, आवृत्ति और कई भूगर्भीय पहलुओं को जोड़कर की जाती है।
बढ़ती संवेदनशीलता के बीच निर्माण में सख्त नियमों की जरूरत
सभी पहाड़ी राज्यों को जोन 6 में लाने का मतलब है कि यहां निर्माण कार्यों में अब और सख्त भूकंपरोधी तकनीकों का पालन करना होगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आबादी बढ़ने और निर्माण की गति तेज होने के कारण जोखिम और बढ़ सकता है। इसलिए इंजीनियरिंग से लेकर सरकारी नीति तक हर स्तर पर सतर्कता बेहद जरूरी है। नए मानचित्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का खतरा समान है और अब वैज्ञानिक मानकों को गंभीरता से अपनाना अनिवार्य होगा।





