जम्मू और कश्मीर

Republic Day 2026: लोक नृत्य और हस्तशिल्प की झलक दिखाएगा जम्मू-कश्मीर का टेबलो, राष्ट्रीय स्तर पर गर्व का अवसर

Republic Day 2026: इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में जम्मू-कश्मीर का झांका “कर्तव्य के पथ पर” अपनी धरोहर और सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेगा। इस झांके के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की हस्तशिल्प कला और लोक नृत्यों की समृद्ध परंपरा को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बड़े गर्व के साथ पेश किया जाएगा। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सरकार पूरी सक्रियता से कार्यरत है ताकि यह झांका एक यादगार और प्रतिष्ठित प्रस्तुति बन सके।

थीम: हस्तशिल्प और लोक नृत्य

इस वर्ष झांके की थीम “हस्तशिल्प और लोक नृत्य” रखी गई है। जम्मू-कश्मीर झांका समिति की अगुवाई में मुख्य सचिव अतल दुल्लू ने इसके लिए टेंडर जारी किए। विभिन्न प्रतिभागियों में से नटरंग के झांके ने अपनी प्रस्तुति से मुख्य सचिव का दिल जीता। झांका को अंतिम मंजूरी प्राप्त करने के लिए दिल्ली में कुल पांच दौर की जांच होती है, जिनमें से अभी तीन दौर बाकी हैं। केवल उसी झांके को गणतंत्र दिवस परेड में जगह मिलती है जो हर मायने में श्रेष्ठ हो।

Republic Day 2026: लोक नृत्य और हस्तशिल्प की झलक दिखाएगा जम्मू-कश्मीर का टेबलो, राष्ट्रीय स्तर पर गर्व का अवसर

हस्तशिल्प की विविधता और सांस्कृतिक प्रस्तुति

इस झांके में जम्मू-कश्मीर की हस्तशिल्प परंपराओं जैसे सूक्ष्म लकड़ी की नक्काशी, प्रसिद्ध पश्मीना बुनाई, कागज मचे, धातु की नक्काशी, कारपेट बुनाई और विश्व प्रसिद्ध बसोहली चित्रकला को दर्शाया जाएगा। झांके के डिज़ाइन में इन कलाओं के मिनिएचर मॉडल और पारंपरिक वाद्य यंत्र शामिल होंगे, जो दर्शकों को इस सांस्कृतिक विरासत की गहराई और विकास की झलक प्रदान करेंगे।

लोक नृत्य और पर्यावरणीय जिम्मेदारी

झांके में जम्मू क्षेत्र के कलात्मक लोक नृत्यों के साथ-साथ कश्मीर के रौफ और गिटाडु जैसे नृत्यों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। झांके की सजावट न केवल सांस्कृतिक सुंदरता को प्राथमिकता देगी बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा। झांके में भाग लेने वाले सभी कलाकार और प्रदर्शक जम्मू-कश्मीर के ही निवासी होंगे, ताकि अपनी सांस्कृतिक पहचान को गर्व के साथ राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया जा सके।

इतिहास और भविष्य की दिशा

जम्मू-कश्मीर का यह झांका पहले भी अपनी विशिष्ट प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता है। 1997, 1998 और 1999 में इसने लगातार तीन बार प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इसके अलावा 2001 में प्रथम और 2003 में द्वितीय स्थान भी प्राप्त किया है। इस बार के झांके का डिज़ाइन पद्मश्री बालवंत ठाकुर के नेतृत्व में तैयार किया गया है, जो पहले जम्मू-कश्मीर अकादमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजेज के सचिव रह चुके हैं। यह झांका जम्मू-कश्मीर की कला और संस्कृति को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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