Omar Abdullah का बड़ा दावा, क्या J&K की सीटें राजनीतिक फायदा देने के लिए बदली गईं?

जम्मू-कश्मीर में कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री Omar Abdullah ने चुनावी प्रक्रिया, पारदर्शिता और संस्थागत जिम्मेदारियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने एक बार फिर अपनी पुरानी चिंता दोहराई कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM) भले ही वोट चोरी को पूरी तरह रोकती हों, लेकिन चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ियाँ अन्य तरीकों से की जा सकती हैं। उनके अनुसार, चुनावी प्रणाली की खूबी तभी कायम रह सकती है जब हर स्तर पर निष्पक्षता और विश्वास को प्राथमिकता दी जाए। इसलिए चुनाव आयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उसी के ऊपर स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराने की जिम्मेदारी है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर सवाल: “राजनीतिक लाभ के लिए बदलाव”
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू और कश्मीर के लिए हाल ही में हुए परिसीमन (Delimitation) की प्रक्रिया पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में छह नई विधानसभा सीटों का जोड़ा जाना एक राजनीतिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कदम है, जिससे एक विशेष राजनीतिक दल—भारतीय जनता पार्टी (BJP)—को फायदा मिले। उनके अनुसार यह एक तरह की “मैनिपुलेशन” है, जो लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है। SIR (Statement of Intent Report) को लेकर विपक्ष के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस पर अंतिम निर्णय और स्पष्टीकरण देना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग को सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक बुलाकर SIR के उद्देश्य, प्रक्रिया और प्रभाव पर पूर्ण स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए। इससे न केवल संदेह दूर होंगे, बल्कि लोगों का भरोसा भी मजबूत बनेगा।

चुनाव आयोग की भूमिका पर जोर: संवाद और स्पष्टता से ही बनेगा भरोसा
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि देश की चुनाव प्रणाली पर लोगों का विश्वास तभी कायम रह सकता है जब संस्थाएं अपनी भूमिका पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से निभाएँ। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को आगे आकर सभी हितधारकों के साथ व्यापक संवाद स्थापित करना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की भ्रांतियाँ या गलतफहमियाँ पनपने का अवसर न मिले। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए यह जरूरी है कि चुनाव प्रक्रिया मजबूत और विश्वसनीय हो। यदि लोगों को लगे कि चुनाव किसी विशेष दल या समूह के हित में प्रभावित हो रहे हैं, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर पड़ जाती है। इसलिए आयोग को स्पष्ट रूप से सभी प्रश्नों का समाधान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव प्रक्रिया की हर कड़ी में निष्पक्षता बनी रहे।
MBBS प्रवेश विवाद पर बयान: “शैक्षणिक संस्थानों को सांप्रदायिक रंग न दें”
श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में MBBS प्रवेश को लेकर विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस मुद्दे को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जो बिल्कुल अनुचित है। उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में कोई समुदाय आधारित विभाजन करना ही उद्देश्य है, तो फिर सीटों को सीधे तौर पर अल्पसंख्यकों के लिए ही आरक्षित कर देना चाहिए—लेकिन शिक्षा संस्थानों को किसी भी तरह की सांप्रदायिक बहस से दूर रखा जाना चाहिए। उनके अनुसार, ऐसे विवाद संस्थानों की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं और समाज में अनावश्यक विभाजन पैदा करते हैं। शिक्षा का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, बांटना नहीं। इसलिए हर किसी को यह समझना चाहिए कि शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति और धर्म आधारित विवादों में उलझाना न केवल गलत है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक है।





