जम्मू और कश्मीर

Kashmir News: वुलर झील में लौटे लाखों प्रवासी पक्षी, कश्मीर में शुरू हुआ रोमांचक माइग्रेशन सीजन

Kashmir News: कश्मीर की मशहूर वुलर झील एक बार फिर हजारों नहीं बल्कि लाखों परिंदों की मेजबानी कर रही है। जैसे ही ठंड बढ़ती है वैसे ही साइबेरिया और मध्य एशिया से आने वाले विदेशी परिंदों का सफर शुरू हो जाता है। इस साल उनकी संख्या और भी ज्यादा देखी जा रही है जिससे झील के किनारे जीवन की एक नई रौनक लौट आई है।

साइबेरिया से लेकर मध्य एशिया तक का लंबा सफर

इन परिंदों का सफर आसान नहीं होता लेकिन हर साल वे बेहद खूबसूरत तरीके से कश्मीर पहुंचते हैं। मालार्ड, टील, पिंटेल, ग्रेलैग गीज और कॉर्मोरेंट जैसी प्रजातियां अपने हजारों किलोमीटर के सफर के बाद वुलर झील को अपना मौसमी घर बनाती हैं। इस साल इनकी संख्या अधिक होना इस बात का संकेत है कि झील का पर्यावरण इनके लिए सुरक्षित और अनुकूल बना हुआ है।

कश्मीर की प्रकृति में नई चमक और स्थानीय उत्साह

स्थानीय लोग और पक्षी प्रेमी इन परिंदों की वापसी को प्रकृति का त्योहार मानते हैं। सर्दियों में वुलर झील का नजारा बिल्कुल बदल जाता है। चाहे सूरज की हल्की किरणें हों या पानी की शांत लहरें हर दृश्य में ये सुंदर पक्षी अपनी खास उपस्थिति दर्ज कराते हैं। इनकी चहक और उड़ान पूरे क्षेत्र में जीवन और ऊर्जा भर देती है।

पर्यावरण विशेषज्ञों की नजर और संरक्षण की उम्मीद

विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल पक्षियों की बड़ी संख्या क्षेत्र में संरक्षण प्रयासों की सफलता का संकेत है। झील की सफाई, जल गुणवत्ता और पर्यावरण सुरक्षा पर सरकार और स्थानीय संगठनों की मेहनत रंग ला रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन पक्षियों की संख्या बढ़ना न सिर्फ प्रकृति के लिए अच्छा है बल्कि यह कश्मीर के पर्यावरण संतुलन का भी संकेत देता है।

पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में नई जान

इन प्रवासी पक्षियों के आगमन से न सिर्फ प्रकृति सुंदर होती है बल्कि स्थानीय पर्यटन में भी नई जान आ जाती है। देश और दुनिया से पक्षी प्रेमी और पर्यटक वुलर झील की ओर आकर्षित होते हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। सर्दियों के मौसम में वुलर झील प्रवासी पक्षियों की वजह से कश्मीर की पहचान का एक अहम हिस्सा बन जाती है।

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