J&K News: जम्मू-कश्मीर में उमर ने संविधान दिवस पर जताई एकता की मिसाल, शिक्षा में बढ़ती धार्मिक राजनीति पर चिंता

J&K News: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पूंछ जिले में जमिया जिया उल उलूम शैक्षणिक संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह में हिस्सा लिया और वहाँ उपस्थित विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय गान और देशभक्ति गीतों की प्रशंसा की। उन्होंने उन लोगों को संदेश दिया जो धार्मिक संस्थानों के खिलाफ गलत बयानबाजी करते हैं कि वे इस कार्यक्रम को देखें और समझें कि यहाँ किस प्रकार की शिक्षा दी जाती है।
धार्मिक संस्थानों के खिलाफ जहर उगलने वालों को उमर का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग धार्मिक संस्थानों के खिलाफ नफरत फैलाते हैं और प्रचार करते हैं कि इनमें केवल संप्रदायिकता और नफरत सिखाई जाती है, उन्हें यहाँ आकर खुद देखना चाहिए कि यहाँ बच्चों को क्या शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा, “मैं चाहूंगा कि ये लोग एक दिन यहाँ बिताएं, तब शायद उन्हें समझ में आएगा कि जो झूठ और जहर फैलाया जा रहा है, वह देशभक्ति के खिलाफ है।” उमर ने स्पष्ट किया कि धर्म की शिक्षा यहाँ दी जाती है, लेकिन इसके साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी सिखाई जाती हैं।

संविधान दिवस की सार्थकता और देशभक्ति का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं था, और यदि चाहा तो संविधान के प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य नहीं किया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग संविधान के मूल्यों की बातें करते हैं, उन्हें इस संस्था के प्रयासों को देखकर समझना चाहिए कि यहाँ भाईचारा और शांति को कितना महत्व दिया जाता है। उमर ने जमिया के संस्थापक मौलाना गुलाम कादिर की प्रशंसा की, जिन्होंने कठिन हालात में भी सद्भाव और शांति बनाए रखने का काम किया।
शिक्षा में बढ़ती धार्मिक भेदभाव पर चिंता
उमर अब्दुल्ला ने शिक्षा में बढ़ते धार्मिक भेदभाव पर चिंता जताई और कहा कि देश में ऐसे हालात बन रहे हैं जहाँ शैक्षणिक संस्थानों को भी सांप्रदायिक नजरिए से देखा जा रहा है। उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस (SMVDIME) कत्रा में प्रवेश विवाद का उदाहरण दिया, जहाँ मुस्लिम और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि यदि योग्यता को दरकिनार कर धर्म के आधार पर निर्णय लिया गया, तो संविधान का क्या होगा।
समानता और न्याय के लिए संविधान दिवस की प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि संविधान दिवस केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दिन हर नागरिक के लिए समानता, न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहने का संदेश देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना सभी धर्मों को समान दर्जा देती है और हर नागरिक को कानून के तहत सुरक्षा प्रदान करती है। उमर ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे हर दिन संविधान के मूल्यों को जीवित रखें।
सांप्रदायिकता के खिलाफ एकता और समरसता की आवश्यकता
समारोह में उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि देश को सांप्रदायिकता के जहर से बचाने के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। उन्होंने धार्मिक संस्थानों के प्रति नफरत फैलाने वालों को चेतावनी दी कि ऐसे कृत्य देश और समाज के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने सभी समुदायों को एकजुट होकर भाईचारे और शांति बनाए रखने का आह्वान किया।





