J&K News: एनसी में अंदरूनी झगड़ा उभर कर आया सामने, एमपी रुहुल्लाह ने डिप्टी सीएम चौधरी को किया टारगेट

J&K News: नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सय्यद रुहुल्लाह और उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी के बीच चल रहा विवाद अब सार्वजनिक हो गया है। पार्टी के अंदर के घमासान ने सरकार की कमजोर स्थिति को उजागर कर दिया है। इस विवाद ने जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक तस्वीर को और जटिल बना दिया है। सांसद मेहदी के आरक्षण नीति को लेकर संसद सत्र के अंत तक फैसला करने के अल्टीमेटम के बाद पार्टी की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं।
आरक्षण नीति पर असहमति और सांसदों के बीच टकराव
सांसद रुहुल्लाह ने साफ कहा है कि अगर आरक्षण नीति में सुधार नहीं हुआ तो वह फिर से मुख्यमंत्री आवास के बाहर छात्रों के साथ खड़े होंगे। उन्होंने बताया कि युवाओं में निराशा और चिंता बढ़ रही है क्योंकि सरकार और प्रशासन उनकी समस्या को समझने में असफल हैं। रुहुल्लाह ने श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय में एमबीबीएस सीटों के विवाद को सरकार के लिए चेतावनी बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को निशाना बनाते हुए कहा कि पिछले साल छह महीने के भीतर आरक्षण नीति को सुधारने का वादा किया था, पर अब एक साल बीत चुका है।

उमर अब्दुल्ला पर निशाना और सवाल
रुहुल्लाह ने सवाल किया कि क्या किसी की निजी अहमियत के कारण पूरी पीढ़ी को सजा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर अभी भी आरक्षण मुद्दे का समाधान नहीं हुआ तो इसका नुकसान अनसुलझा रहेगा। सरकारी विभागों में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन आरक्षण का मसला अभी तक अनसुलझा है। रुहुल्लाह ने याद दिलाया कि पिछले साल 23 दिसंबर को भी उन्होंने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया था और आरक्षण नीति को 50 प्रतिशत तक सीमित करने की मांग की थी।
सरकार और उप मुख्यमंत्री का जवाब
उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आरक्षण मुद्दे पर समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है और अब कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिजली के दाम बढ़ाने से मना किया है और इसलिए सांसद रुहुल्लाह को इस तरह के बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनावश्यक बयानों और धरने-प्रदर्शन की जरूरत नहीं है। इस बीच पार्टी में आंतरिक संघर्ष बजगाम उपचुनाव में भी साफ नजर आया।
बजगाम उपचुनाव में रुहुल्लाह का विरोध और पार्टी को नुकसान
रुहुल्लाह ने बजगाम विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार नहीं किया। उनके समर्थक पीडीपी के उम्मीदवार के रैली में नजर आए। इसके कारण नेशनल कॉन्फ्रेंस को हार का सामना करना पड़ा और पीडीपी ने जीत हासिल की। यह साफ संकेत है कि पार्टी के अंदर के विवाद ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है और विपक्ष के लिए अवसर बढ़ाए हैं। ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस को अपनी अस्थिरता पर काबू पाना होगा ताकि जनता का भरोसा फिर से हासिल किया जा सके।





