Jammu and Kashmir फैमिली वेलफेयर कर्मचारियों का चार महीने से वेतन बकाया, महिला मल्टीपर्पज़ वर्कर्स ने सरकार को दी सड़क पर उतरने की चेतावनी

जम्मू-कश्मीर में महिला बहुउद्देश्यीय कर्मचारी संघ ने सरकार को सख्त चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनके चार महीने से रुके हुए वेतन जारी नहीं किए गए तो वे सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। यह चेतावनी रविवार को जम्मू-कश्मीर मेडिकल एम्प्लॉइज फेडरेशन के बैनर तले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई। कर्मचारियों ने साफ कहा कि अब उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और वेतन न मिलने से उनके घर चलाना मुश्किल हो गया है।
चार महीने से जारी वेतन संकट
फेडरेशन के अध्यक्ष जसविंदर सिंह और एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम देवी ने बताया कि फैमिली वेलफेयर विभाग के हेड 2211 के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों को पिछले चार महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब कर्मचारियों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय लापरवाही और वित्तीय प्रबंधन की खामियों के चलते कर्मचारी बार-बार आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। सरकार की ओर से इस समस्या को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है।

निदेशक के आश्वासन के बाद भी हल नहीं हुई समस्या
कर्मचारियों ने बताया कि फैमिली वेलफेयर विभाग के निदेशक ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर वेतन जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। कर्मचारियों का आरोप है कि चीफ अकाउंट्स ऑफिसर के पास इस मुद्दे को देखने का “समय नहीं है”, जिसके कारण वेतन प्रक्रिया और भी लंबी खिंच रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर की इस उदासीनता ने कर्मचारियों का मनोबल गिराया है और उनका धैर्य अब जवाब देने लगा है।
वेतन न मिला तो लगेगी हड़ताल, ठप होगा टीकाकरण काम
एसोसिएशन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही वेतन जारी नहीं किया गया तो सभी कर्मचारी एक साथ हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे टीकाकरण समेत कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला कोई खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में लिया जाएगा। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि उपराज्यपाल प्रशासन के दौरान उनके वेतन के लिए एक कोष बनाया गया था, जिससे नियमित रूप से वेतन दिया जा रहा था, लेकिन अब फिर वही पुरानी समस्या सामने आ गई है।
कुछ अधिकारियों की लापरवाही से पैदा हुआ संकट
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि यह समस्या कुछ अधिकारियों की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण पैदा हुई है। उन्होंने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की। कर्मचारियों का कहना है कि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन कर रहे हैं लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। अब वे चाहते हैं कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द उनके वेतन जारी करे ताकि वे अपने परिवारों का पालन-पोषण कर सकें और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा न आए।





