जम्मू और कश्मीर

Jammu-Kashmir: अब्दुल्ला ने जताई चिंता! 2019 के बाद भी जारी है जम्मू-कश्मीर में खूनखराबा और बेगुनाहों की मौत

Jammu-Kashmir के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने 2019 के बाद भी क्षेत्र में जारी हिंसा और निर्दोष नागरिकों की जान गंवाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की कई बार की शांति की गारंटी के बावजूद भी यहाँ रक्तस्राव और जीवन की हानि रुक नहीं रही है। उनके इस बयान ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

वादे और हकीकत में भारी अंतर

ओमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि लोगों को हिंसा खत्म करने का वादा किया गया था लेकिन जमीन पर स्थिति बिल्कुल वैसी की वैसी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जनता को यह भरोसा दिया गया था कि 2019 के बाद शांति कायम होगी और लोग सुरक्षित रहेंगे, लेकिन अब तक कोई ऐसा सकारात्मक बदलाव नजर नहीं आया। इस बात ने न केवल आम जनता की निराशा बढ़ाई है बल्कि राजनीतिक अस्थिरता को भी गहरा किया है।

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सुरक्षा एजेंसाओं की जिम्मेदारी पर सवाल

ओमर ने इस पूरी स्थिति की जिम्मेदारी सीधे सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन के ऊपर डाली है। उन्होंने कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, उनसे ही यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्यों अभी तक हिंसा खत्म नहीं हो पाई है। उनके अनुसार सुरक्षा में लगे लोग स्थिति नियंत्रण में क्यों नहीं ला पा रहे, इसका जवाब प्रशासन को देना चाहिए।

निर्दोष जनता की जान पर बना साया

उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा का सबसे बड़ा शिकार हमेशा निर्दोष लोग ही होते हैं। कई परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके हैं और इस असहनीय पीड़ा का कोई अंत नहीं दिख रहा। ओमर अब्दुल्ला ने लोगों की इस चिंता को साझा करते हुए प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर शांति का वादा किया गया है तो उसे व्यवहारिक रूप से भी साबित करना होगा।

जम्मू-कश्मीर में शांति की राह कठिन लेकिन जरूरी

ओमर अब्दुल्ला के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि जम्मू-कश्मीर में अभी भी सुरक्षा और शांति की स्थिति पूरी तरह संतोषजनक नहीं है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि वह हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। साथ ही, उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि वह और उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर की स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रदेश में शांति कायम करना कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। सभी को मिलकर प्रयास करना होगा ताकि वहां के लोग एक सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी सकें।

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