जम्मू-कश्मीर के गन लाइसेंस घोटाले में शामिल 8 IAS, अधिकारियों पर CBI ने मांगी कार्रवाई की मंजूरी

जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा गन लाइसेंस घोटाला सामने आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने सीबीआई की आठ वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए भेजी गई मांग पर विचार शुरू कर दिया है। यह मामला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के समक्ष भी आया है। इस घोटाले में लाखों गन लाइसेंस फर्जी तरीके से दिए गए और करोड़ों रुपए की रिश्वत ली गई। डीएसजीआई विषाल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि मंत्रालय इस मामले में जल्द निर्णय लेगा, लेकिन कोर्ट ने मामले की सुनवाई 30 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
आठ आईएएस अधिकारियों पर संदेह के साये
सीबीआई इस घोटाले की गहन जांच कर रही है। जांच में सामने आया है कि आठ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे। ये अधिकारी 2012 से 2016 के बीच काथुआ, उदयपुर, राजौरी, बारामूला, पुलवामा, कारगिल और लेह जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर रहे थे। आरोप है कि उन्होंने हथियारों के लाइसेंस गैरकानूनी तरीके से जारी किए। गृह मंत्रालय ने सीबीआई से इन अधिकारियों को हथियार डीलरों के साथ जोड़ने वाले ठोस सबूत मांगे हैं। सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मंजूरी लेना जरूरी होता है।

2.74 लाख से अधिक गन लाइसेंस में गड़बड़ी
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सीबीआई की जांच के समर्थन में गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। इस घोटाले में 2.74 लाख से अधिक गन लाइसेंस 2012 से 2016 के बीच जारी किए गए थे। जांच में पता चला है कि कई हथियार ऐसे लोगों को दिए गए जो उस जिले के निवासी नहीं थे या फिर वहां पोस्टेड भी नहीं थे। इन हथियारों का इस्तेमाल कई बार अवैध गतिविधियों में भी किया गया। कई अधिकारियों पर लालच में आकर गैरकानूनी कार्रवाई करने का आरोप है। इस मामले में कई केएएस अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों पर पहले ही मुकदमा चलाया जा चुका है।
करोड़ों के घोटाले का भंडाफोड़
जांच अधिकारियों का मानना है कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से भी अधिक का हो सकता है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी और लाइसेंस जारी करने वाले कर्मचारी इस घोटाले में शामिल थे। इनके द्वारा हथियारों के लाइसेंस रिश्वत लेकर जारी किए गए। इस घोटाले की जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों की कारगुजारी पर सवाल उठ रहे हैं। इस प्रकार के अपराध से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर खतरा है। जांच पूरी होने के बाद इस मामले में बड़े स्तर पर कार्रवाई की उम्मीद है।
जल्द हो सकता है फैसला, कोर्ट ने दी स्थगित
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। डीएसजीआई ने मंत्रालय की ओर से मामले में थोड़ी और समय मांगते हुए सुनवाई को 30 दिसंबर तक स्थगित कर दिया। गृह मंत्रालय ने सीबीआई के जवाबों पर गौर किया है और जल्द ही मुकदमा चलाने की मंजूरी का फैसला लेने वाला है। इस घोटाले से राज्य प्रशासन की छवि धूमिल हुई है। अब जनता और न्यायपालिका दोनों इस मामले में कड़े कदमों की उम्मीद कर रहे हैं ताकि दोषियों को उचित सजा मिल सके।





