Jammu-Kashmir: घाटी में छिपे ओवर ग्राउंड वर्कर्स पर शिकंजा—150 हिरासत में, क्या सामने आएंगे बड़े मास्टरमाइंड?

Jammu-Kashmir में आतंकवाद को दोबारा जड़ जमाने से रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने अपना अभियान और तेज कर दिया है। पुलिस उन राष्ट्रविरोधी तत्वों की पहचान कर रही है, जो आम लोगों के बीच रहकर आतंकियों की मदद कर रहे हैं और आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, ऐसे तत्व समाज में छिपे रहते हैं और आतंकियों को सूचना, ठिकाने, आर्थिक मदद और अन्य तरह का सहयोग उपलब्ध कराते हैं। इन्हीं गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर घाटी में व्यापक स्तर पर अभियान छेड़ दिया है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ घाटी भर में छापेमारी
इस अभियान के तहत आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के खिलाफ कश्मीर घाटी के कई इलाकों में बड़ी कार्रवाई की गई है। पुलिस ने बताया कि यह ऑपरेशन आतंकियों के उस नेटवर्क को तोड़ने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जो घाटी में फैला हुआ है और पर्दे के पीछे से आतंकवाद को समर्थन देता है। अब तक की कार्रवाई में 150 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है। पुलिस का कहना है कि इन गिरफ्तारियों से आतंकियों के स्थानीय समर्थन तंत्र को बड़ा झटका लगा है और आने वाले दिनों में और भी कार्रवाई की जा सकती है।

जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों से जुड़े तार
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक श्रीनगर समेत घाटी के विभिन्न हिस्सों से जिन संदिग्धों को पकड़ा गया है, उनके तार प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी समूहों से जुड़े पाए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि छापेमारी अभी भी कई इलाकों में जारी है और कई ठिकानों पर एक साथ दबिश दी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि इन ओवर ग्राउंड वर्कर्स के जरिए आतंकियों को किस तरह की मदद पहुंचाई जा रही थी और इस नेटवर्क की पहुंच कितनी गहरी है।
एलजी मनोज सिन्हा का सख्त संदेश
यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है, जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के पूरे इकोसिस्टम को जड़ से खत्म किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि जो भी व्यक्ति आतंकियों का समर्थन करेगा, सहानुभूति दिखाएगा या किसी भी तरह से मदद करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा और उसके खिलाफ सबसे कठोर कार्रवाई की जाएगी। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकवाद सिर्फ हथियार उठाने वालों से नहीं, बल्कि उनके मददगारों से भी चलता है। इसलिए अब फोकस केवल आतंकियों पर नहीं, बल्कि उनके पूरे समर्थन तंत्र को खत्म करने पर है।





