Vande Mataram पर संसद में गरमी! PM मोदी के बयान से विपक्ष कैसे घिरा?

लोकसभा में ‘Vande Mataram’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित दिनभर की विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का वह अमर गीत है जिसने ब्रिटिश दमन के बावजूद भारतीयों में एकजुटता की भावना को मजबूत किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के कठिन दौर में यह गीत भारतीयों के लिए साहस, प्रेरणा और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन गया। पीएम मोदी ने इतिहास को याद करते हुए कहा कि यह गीत उस समय भी अडिग रहा जब भारत को ब्रिटिश शासन की क्रूरता का सामना करना पड़ रहा था।
आपातकाल के संदर्भ में मोदी का कटाक्ष
PM मोदी ने अपने भाषण के दौरान 1975 के आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि जब ‘वंदे मातरम्’ के 100 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता कर रहा था। उन्होंने कहा, “उस समय देश आपातकाल की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। संविधान को कुचल दिया गया था और वे लोग जो राष्ट्रभक्ति के लिए जिए और देश के लिए समर्पित थे, उन्हें जेलों में डाल दिया गया था।” उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल भारतीय इतिहास का वह अंधकारमय अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

वंदे मातरम् की महानता को फिर स्थापित करने का अवसर
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत के पास यह अद्भुत अवसर है कि वह ‘वंदे मातरम्’ की महानता और उसके ऐतिहासिक महत्व को पुनः स्थापित कर सके। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना, स्वतंत्रता का भाव और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। मोदी ने ज़ोर देते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों को ‘वंदे मातरम्’ की ऐतिहासिक विरासत और इसके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के बारे में अवश्य बताया जाना चाहिए।
वंदे मातरम्: एकता, साहस और राष्ट्रगौरव का प्रतीक
PM मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ ने भारतियों में साहस पैदा किया, उन्हें अत्याचार के खिलाफ खड़े होने का हौसला दिया, और यह वही गीत था जो स्वतंत्रता के हर मोड़ पर भारतीयों के साथ रहा। उन्होंने कहा कि आज जब भारत एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, तब ‘वंदे मातरम्’ की मूल भावना को समझना और उसे समाज में पुनर्जीवित करना आवश्यक है। मोदी ने यह भी कहा कि यह अवसर देश को एक बार फिर यह याद दिलाने का है कि हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय धरोहरें कितनी मूल्यवान हैं और इन्हें संरक्षित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।





