मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदी, विकसित भारत की नींव हो रही है मजबूत, युवाओं को स्पेस सेक्टर रिफॉर्म से फायदा

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन की बात कार्यक्रम का आज 113वां एपिसोड आयोजित हुआ. मन की बात में पीएम मोदी ने गैलेक्सी-आई स्टार्टअप के फाउंडर से चर्चा की. ये स्टार्टअप IIT मद्रास के स्टूडेंट्स का है. स्टूडेंट्स ने बताया कि अगले साल हमारा सैटेलाइट लॉन्च होगा.उसमें हमने भी हिस्सा लिया है. परिवारवादी राजनीति नई प्रतिभाओं का दमन करती है. हमारे युवा राजनीति में आना चाहते हैं, उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में, कितना ही कुछ ऐसा हो रहा है, जो विकसित भारत की नींव मजबूत कर रहा है. जैसे, इस 23 अगस्त को ही हम सब देशवासियों ने पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया. 

पिछले वर्ष इसी दिन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी हिस्से में शिव-शक्ति बिंदु पर सफलतापूर्वक लैडिंग की थी. भारत इस गौरवपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना. इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक प्रणाली से जोड़ने का आह्वाहन किया है. मेरी इस बात पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं. बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है. हर घर तिरंगा और पूरा देश तिरंगा’ इस बार ये अभियान अपनी पूरी ऊंचाई पर रहा. देश के कोने-कोने से इस अभियान से जुड़ी अद्भुत तस्वीरें सामने आई हैं.

हमने घरों पर तिरंगा लहराते देखा – स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में तिरंगा देखा.  लोगों ने अपनी दुकानों, दफ्तरों में तिरंगा लगाया, लोगों ने अपने डेस्कटॉप, मोबाइल और गाड़ियों में भी तिरंगा लगाया. इस अभियान ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया है और यही तो ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ है. असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गांव बारेकुरी में, मोरान समुदाय के लोग रहते हैं और इसी गांव में रहते हैं ‘हूलॉक गिबन’, जिन्हें यहां ‘होलो बंदर’ कहा जाता है.

हूलॉक गिबन्स ने इस गांव में ही अपना बसेरा बना लिया है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव के लोगों का हूलॉक गिबन के साथ बहुत गहरा संबंध है. गांव के लोग आज भी अपने पारंपरिक मूल्यों का पालन करते हैं. इसलिए उन्होंने वो सारे काम किए, जिससे गिबन्स के साथ उनके रिश्ते और मजबूत हों.पशुओं के प्रति प्रेम में हमारे अरुणाचल प्रदेश के युवा साथी भी किसी से पीछे नहीं हैं. अरुणाचल में हमारे कुछ युवा-साथियों ने 3-डी प्रिंटिंग तकनीक  का उपयोग करना शुरू किया है – जानते हैं क्यों? 

क्योंकि वो, वन्य जीवों को सींगों और दांतों के लिए शिकार होने से बचाना चाहते हैं. नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में ये टीम जानवरों के अलग-अलग हिस्सों की 3-डी प्रिंटिंग करती है. मध्य-प्रदेश के झाबुआ में कुछ ऐसा शानदार हो रहा है, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए. वहां पर हमारे सफाई-कर्मी भाई-बहनों ने कमाल कर दिया है. इन भाई-बहनों ने हमें ‘Waste to Wealth’ का संदेश सच्चाई में बदलकर दिखाया है. इस टीम ने झाबुआ के एक पार्क में कचरे से अद्भुत Art Works तैयार किया है. 

हमारे देश में कई सारी स्टार्ट-अप टीम भी पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयासों से जुड़ रही है. Econscious नाम की एक टीम है, जो, plastic waste का उपयोग पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाने में कर रही है. हमने 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया. उसी दिन पूरी दुनिया में ‘विश्व संस्कृत दिवस’ भी मनाया गया. बच्चों का nutrition देश की प्राथमिकता है. वैसे तो उनके पोषण पर पूरे साल हमारा ध्यान रहता है, लेकिन एक महीना देश इस पर विशेष focus करता है. इसके लिए हर साल 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाया जाता है.

पोषण को लेकर लोगों को जागरूक बनाने के लिए पोषण मेला, एनीमिया शिविर, नवजात शिशुओं के घर की यात्रा, सेमिनार, वेबिनार जैसे कई तरीके अपनाए जाते हैं. कितनी ही जगहों पर आंगनवाड़ी के तहत मदर एंड चाइल्ड कमेटी  की स्थापना भी की गई है. पिछले वर्ष पोषण अभियान को नई शिक्षा नीति से भी जोड़ा गया है.’पोषण भी पढ़ाई भी’ इस अभियान के द्वारा बच्चों के संतुलित विकास पर फोकस किया गया है. आपको भी अपने क्षेत्र में पोषण के प्रति जागरूकता वाले अभियान से जरूर जुड़ना चाहिए. आज भी देश-विदेश में संस्कृत के प्रति लोगों का विशेष लगाव दिखता है. दुनिया के कई देशों में संस्कृत भाषा को लेकर तरह-तरह की रिसर्च और प्रयोग हो रहे हैं.

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