J&K News: जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार के पास नहीं है कोई ताकत, चोधरी रमजान का बड़ा खुलासा

J&K News: राष्ट्रीय सम्मेलन के नेता और राज्यसभा सदस्य चोधरी मोहम्मद रमताज ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार के पास कोई वास्तविक ताकत नहीं है। जम्मू-कश्मीर की सियासत में यह एक महत्वपूर्ण बयान माना जा रहा है। उन्होंने पहली बार राज्यसभा में अपने चुनाव के बाद कहा कि अक्टूबर 2024 में चुनाव हुए और नई सरकार बनी, लेकिन फिर भी सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सारा अधिकार लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के पास है।
निर्वाचित सरकार की भूमिका पर उठाए सवाल
चोधरी मोहम्मद रमताज ने सवाल उठाया कि जब सरकार के पास काम करने का अधिकार ही नहीं है तो उसका चुनाव कराने का मकसद क्या है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने राष्ट्रीय सम्मेलन को जबरदस्त जनादेश दिया है, लेकिन फिर भी उनके निर्वाचित प्रतिनिधि निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। उनका कहना था कि यह चिंता का विषय है कि चुनाव के बाद भी असली निर्णय लेने की शक्ति सरकार के हाथ में नहीं है।

राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के तीन नए सदस्यों का शपथ ग्रहण
इस दौरान जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के तीन नए सदस्य भी राज्यसभा में शपथ ग्रहण कर चुके हैं। उप राष्ट्रपति और सदन के अध्यक्ष सी.पी. राधाकृष्णन ने सोमवार को उनका शपथ ग्रहण कराया। राष्ट्रीय सम्मेलन के नेता सज्जाद अहमद किछलू ने सबसे पहले शपथ ली। उन्होंने अपनी शपथ उर्दू भाषा में ली। उनके बाद गुरुविंदर सिंह ओबेरॉय (शम्मी ओबेरॉय) ने पंजाबी भाषा में शपथ ग्रहण की। चोधरी मोहम्मद रमताज ने भी इसके बाद शपथ ली। इससे जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधि राज्यसभा में चार वर्षों बाद वापस लौटे हैं।
जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधियों की वापसी का महत्व
राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के नए सदस्यों का प्रवेश इस क्षेत्र के लिए राजनीतिक पुनरुत्थान की उम्मीद लेकर आया है। पिछले सदस्यों जैसे गुलाम नबी आजाद, मीर मोहम्मद फैयाज, शमशेर सिंह मनहास और नजीर अहमद लवई का कार्यकाल फरवरी 2021 में समाप्त हो चुका था। अब नए सदस्यों के शपथ ग्रहण से जम्मू-कश्मीर को संसद में पुनः अपनी आवाज़ सुनाने का मौका मिला है। यह क्षेत्र के राजनीतिक अधिकारों की बहाली की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
चुनौतीपूर्ण राजनीतिक स्थिति में जम्मू-कश्मीर का भविष्य
चोधरी मोहम्मद रमताज के बयान से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक व्यवस्था में अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। जहां एक ओर जनादेश मिला है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक नियंत्रण में बाधाएं हैं। इस स्थिति में नए चुने गए प्रतिनिधियों के सामने जनता की उम्मीदों को पूरा करना एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा के लिए राजनीतिक शक्तियों का सही उपयोग बेहद जरूरी है। आने वाले समय में इस क्षेत्र की राजनीति में संतुलन और पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।





