जम्मू और कश्मीर

J&K News: ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ को लेकर विवाद, शिव सेना ने कहा- BJP जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही

J&K News:  जम्मू-कश्मीर की शिव सेना ने राज्यसभा में सांसदों को ‘जय हिंद‘ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारों को न लगाने की सलाह पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह कदम देशभक्ति की भावना को ठेस पहुंचाता है। शिव सेना के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि यह एक तरह से देशभक्ति पर हमला है और देश के तथाकथित “विजेताओं” के असली चेहरे सामने आ रहे हैं। उन्होंने इस कदम को देशवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया।

वंदे मातरम’ का असली मतलब और उसका महत्व

मनीष साहनी ने स्पष्ट किया कि ‘वंदे मातरम’ का अर्थ है “माँ भारत, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ।” इसमें गलत क्या है? देशभर में ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्षगांठ के जश्न की तैयारी चल रही है, लेकिन उसी समय राज्यसभा में इसके नारों पर पाबंदी की बात हो रही है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि देशभक्ति के नाम पर खेल हो रहा है। साहनी ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ एक राष्ट्रगान के समान है और इसे रोकना देश की भावना के खिलाफ है।

बीजेपी पर दोहरी नीति का आरोप

शिव सेना ने भाजपा पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया है। साहनी ने याद दिलाया कि एक समय भाजपा खुद कहती थी कि “अगर इस देश में रहना है तो वंदे मातरम बोलना होगा।” लेकिन अब वही भाजपा ‘वंदे मातरम’ के नारों का विरोध कर रही है। यह दिखाता है कि देशभक्ति के मसले पर राजनीतिक स्वार्थ कैसे खेलते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे दोगले रवैये से देश की एकता और भावना को नुकसान पहुंचता है।

देशभक्ति की भावना के साथ खिलवाड़ न हो

मनीष साहनी ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे देशभक्ति के भावनात्मक मुद्दों के साथ खेल न करें। देश के लोग अपने राष्ट्रगान और देशभक्ति के प्रतीकों के प्रति भावुक हैं। इन्हें लेकर किसी भी तरह का विवाद या पाबंदी न हो। उन्होंने कहा कि देशवासियों की भावनाओं का सम्मान करना हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है। इस प्रकार के कदम देश के सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं।

आगे क्या होगा इस मुद्दे का?

शिव सेना के इस विरोध के बाद यह देखना होगा कि सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। राज्यसभा में नारों की पाबंदी को लेकर देश में बढ़ती प्रतिक्रिया राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन गई है। जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही भविष्य में इस मामले का समाधान किया जाना चाहिए। देशभक्ति के प्रतीकों का सम्मान सभी के लिए अनिवार्य है और यह मुद्दा अब और ज्यादा गरमाता नजर आ रहा है।

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