J&K News: श्रीनगर एयरपोर्ट पर इंडिगो की उड़ानें रद्द, 16 फ्लाइट्स कैंसिल, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं लगातार दूसरे दिन परेशानी

J&K News: श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शनिवार को दूसरी लगातार दिन उड़ान संचालन आंशिक रूप से बाधित रहा। इंडिगो एयरलाइन ने कई निर्धारित उड़ानों को रद्द किया, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। अधिकारियों के अनुसार, दिन भर कुल 64 उड़ानें (32 आगमन और 32 प्रस्थान) निर्धारित थीं, जिनमें से 36 इंडिगो की थीं। लेकिन इंडिगो ने सुबह के समय 14 उड़ानें रद्द कर दीं, जिनमें सात आगमन और सात प्रस्थान उड़ानें शामिल थीं। इसके अलावा, अन्य एयरलाइंस की दो उड़ानें—एक आगमन और एक प्रस्थान—भी रद्द की गईं, जिससे कुल रद्द उड़ानों की संख्या 16 हो गई। हालांकि, शुरूआती घंटों में किसी भी उड़ान में कोई बड़ी देरी दर्ज नहीं हुई। बाकी एयरलाइंस की उड़ानें सामान्य रूप से संचालित हो रही थीं और अन्य निर्धारित उड़ान कार्यक्रम प्रभावित नहीं हुए।
इंडिगो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर
उधर, इंडिगो एयरलाइंस की हाल की उड़ान रद्द करने की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। यह याचिका ‘इंडिगो ऑल पासेंजर्स एंड अदर्स’ की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा ने दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस के “अचानक हुए ऑपरेशनल क्रैश” पर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की गई है। याचिका में इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया गया है, जिनमें जीवन और गरिमा का अधिकार (अनुच्छेद 21) शामिल है।

याचिका में यात्री संकट को बताया गया मानवतावादी संकट
याचिका में कहा गया है कि बड़ी संख्या में उड़ान रद्द होने और अत्यधिक देरी के कारण बड़े शहरों में एक मानवतावादी संकट पैदा हो गया है। वरिष्ठ नागरिक, बच्चे और मेडिकल जरूरत वाले यात्रियों को न तो भोजन मिला, न पानी, न आराम करने की जगह और न ही आपातकालीन सहायता। याचिका में यह भी उल्लेख है कि यह समस्या अब केवल एयरलाइन और ग्राहकों के बीच एक साधारण संविदात्मक विवाद नहीं रह गई है, बल्कि यह आम जनता के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बन गई है।
इंडिगो ने नियामकीय बदलावों को बताया कारण
इंडिगो ने उड़ानों में व्यवधान के लिए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के दूसरे चरण के क्रियान्वयन में हुई योजना संबंधी गलतियों को जिम्मेदार ठहराया है। याचिका में कहा गया है कि न तो एयरलाइन ने और न ही नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस बदलाव की पूर्व निगरानी ठीक से की। इसके अलावा, कुछ मार्गों पर ₹50,000 से अधिक के उड़ान किराए यात्रियों के लिए एक बड़ी बाधा बन गए हैं, जिससे किफायती हवाई यात्रा का मूल वादा भी प्रभावित हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई और निर्देश की मांग
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से विशेष बेंच द्वारा तुरंत सुनवाई कर इंडिगो को अनियंत्रित उड़ान रद्द करने से रोकने और फंसे हुए यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक यात्रा सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसमें यात्रियों को अन्य एयरलाइंस या ट्रेनों में सीटें उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है, ताकि वे अपने गंतव्य तक बिना और ज्यादा परेशानी के पहुंच सकें। यात्रियों के लिए राहत की इस मांग के साथ ही यह याचिका देश में हवाई यात्रा के नियमन और यात्रियों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।





