जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने पीएम से की अपील, फारूक अब्दुल्ला ने कहा- लाल किले आतंकी हमले से कश्मीरी नहीं, मासूमों को न करें टार्गेट

राष्ट्रीय कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए कहा कि लाल किले के पास हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकवादी और उनके सहयोगी कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवादियों को कश्मीरियों के खिलाफ नहीं खड़ा किया जाना चाहिए और मासूम कश्मीरियों को उनके अपराधों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
कश्मीरियों के खिलाफ गलतफहमियों पर चिंता
डॉ. फारूक ने कहा कि कुछ भटकाऊ और आतंकवादी तत्वों की वजह से पूरे कश्मीरी समुदाय के प्रति शंका और नफरत का माहौल बनना अत्यंत दुखद है। उन्होंने बताया कि कश्मीरियों ने कभी भी आतंकवादी हिंसा या आतंकवादियों के एजेंडे को समर्थन नहीं दिया। इसके विपरीत, कश्मीरियों ने हमेशा भारत के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अतः एक-दूसरे के खिलाफ गलतफहमियां और भेदभाव को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

कश्मीरियों की सुरक्षा के लिए सरकारों से अपील
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री से अपील की कि वे देश भर में रहने, पढ़ने और काम करने वाले कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवा जो विभिन्न हिस्सों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या काम कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए। राज्य सरकारों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि किसी भी प्रकार के भेदभाव या उत्पीड़न से बचा जा सके।
न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन जरूरी
डॉ. फारूक ने कहा कि इस तनाव के समय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे किसी भी तरह के भेदभाव या लक्षित उत्पीड़न की निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि निर्दोष नागरिकों को निशाना न बनाया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें एकजुट रहना चाहिए और न्याय तथा निष्पक्षता हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए। इससे देश में सद्भावना और एकता बनी रहेगी।
राष्ट्र के प्रति एकजुटता का संदेश
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा कि हम सबको मिलकर इस चुनौतीपूर्ण समय में एक-दूसरे का सहारा बनना होगा। किसी भी प्रकार की कट्टरता या सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना देशहित के खिलाफ होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि देश के सभी नागरिक मिलकर इस समय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में सहयोग करेंगे और कश्मीरियों को भी बराबरी और सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलेगा।





