जम्मू और कश्मीर

Zojila Tunnel का काम तेज़ गति से जारी, 24×7 लद्दाख का सफर जल्द होगा आसान

Zojila Tunnel: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने वाली जोजिला टनल परियोजना अपने अंतिम चरण में है। परियोजना कंपनी मेदांता इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) के रिटायर्ड कर्नल शिव कुमार ने शनिवार को बताया कि जोजिला टनल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और नवंबर 2028 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवंबर 2020 में टनल निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन अत्यधिक ठंड की वजह से कुछ समय के लिए काम रोकना पड़ा था। इसके बाद मौसम में सुधार होने के साथ 2021 से काम ने गति पकड़ ली और कश्मीर तथा लद्दाख दोनों तरफ से खुदाई कार्य समानांतर चल रहा है।

खुदाई का काम लगभग पूरा, शेष केवल 250 मीटर बचा

कर्नल शिव कुमार के अनुसार, टनल के मुख्य भाग 13 किलोमीटर की खुदाई में केवल 250 मीटर बचा है। बाकी का काम पूरा हो चुका है और अब टीम निर्धारित समय सीमा के अनुसार कार्य कर रही है। यह परियोजना दो बड़े हिस्सों में विभाजित है। पहला हिस्सा सोनमर्ग टनल से जोजिला मुख्य टनल के पश्चिमी प्रवेश द्वार तक 17 किलोमीटर की पहुंच सड़क का है, जिसमें दो छोटे टनल (1.95 किमी और 450 मीटर) शामिल हैं। साथ ही सात कट-एंड-कवर संरचनाएं, हिमस्खलन से बचाव के लिए स्नो गैलरीज, चार पुल और सड़क जंक्शन भी बनाए जा चुके हैं।

Zojila Tunnel का काम तेज़ गति से जारी, 24x7 लद्दाख का सफर जल्द होगा आसान

भारी बर्फबारी से सालाना बंद रहता है जोजिला मार्ग

कर्नल कुमार ने बताया कि जोजिला पास समुद्र तल से 11,850 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां सालाना 12 से 15 मीटर तक बर्फ गिरती है, जिसकी वजह से मार्ग कई महीनों तक बंद रहता है। इस टनल के बन जाने से यह समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी और लद्दाख क्षेत्र की कनेक्टिविटी 24 घंटे सालभर बनी रहेगी। यह टनल लद्दाख के लिए जीवन रेखा साबित होगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि होगी और जीवन स्तर बेहतर होगा।

रणनीतिक दृष्टिकोण से टनल की महत्ता

इस टनल का महत्व केवल नागरिक जीवन तक सीमित नहीं है। कर्नल शिव कुमार ने बताया कि इस परियोजना में स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है, जिससे स्थानीय विकास को बल मिला है। साथ ही, रणनीतिक रूप से भी यह टनल सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। यह सर्दियों में भी सेना की आवाजाही को सुगम बनाएगा, जिससे सीमा सुरक्षा और त्वरित परिचालन संभव होगा। सेना के लिए यह टनल एक बड़ी ताकत साबित होगी।

कुल लागत और तकनीकी विशेषताएं

इस परियोजना की कुल लागत 4,500 करोड़ रुपये है। यह एक द्विदिशात्मक टनल होगा, जो सभी प्रकार के वाहनों के लिए निर्बाध आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा। हिमालय की जमीनी संरचना मुख्य रूप से चट्टानों से बनी है, और इन चट्टानों का उपयोग टनल निर्माण में किया जा रहा है। यह परियोजना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन समयबद्ध पूरा करने का लक्ष्य निश्चित है। कर्नल शिव कुमार ने आशा जताई कि नवंबर 2028 तक यह टनल समय पर तैयार हो जाएगी और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी का नया अध्याय शुरू होगा।

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