Delhi Pollution Increasing Risk At Home: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने बढ़ाई दिमागी बीमारियों का खतरा, डॉक्टर ने बताई सावधानियां

Delhi Pollution Increasing Risk At Home: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग घर के अंदर रहना सुरक्षित समझते हैं। खासकर बच्चों की बाहर की गतिविधियां सीमित कर दी गई हैं और निचले कक्षा के स्कूल ऑनलाइन कर दिए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब बाहर हवा जहरीली हो तो घर के अंदर क्या हवा सचमुच साफ होती है? डॉक्टर बताते हैं कि प्रदूषण केवल बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर भी समान रूप से खतरनाक होता है। चाहे आप घर में हों या बाहर, जहरीली हवा आपके शरीर में प्रवेश करती रहती है।
घर के अंदर की हवा भी प्रदूषित क्यों होती है?
डॉ. कुणाल बहरानी (चिकित्सा विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजी) के अनुसार, घर के अंदर की हवा अक्सर बाहर की हवा से भी अधिक प्रदूषित हो सकती है। यह एक आम भ्रांति है कि घर के अंदर हवा साफ होती है। घर में रसोई गैस, अगरबत्ती, धूप, पेंट, फर्नीचर और धूल के कारण भी हवा प्रदूषित होती है। साथ ही, बाहर से आने वाला पीएम2.5 और पीएम10 जैसे सूक्ष्म कण खिड़की दरवाजे और एयर कंडीशनर के जरिए अंदर आ जाते हैं। बंद कमरों में हवा के संचलन की कमी से जहरीले कण घंटों तक अंदर रह सकते हैं, जो फेफड़ों और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

घर में प्रदूषण कम करने के उपाय
डॉ. बहरानी ने बताया कि घर में हवा को साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, जिसमें HEPA और एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर हो। इसे रोजाना 8-10 घंटे तक चलाना चाहिए। इससे अंदर की हवा साफ रहती है और घर के अंदर रहना सुरक्षित होता है। खिड़कियां खोलने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक माना जाता है, जब बाहरी हवा की गुणवत्ता बेहतर होती है। खाना बनाते समय किचन की चिमनी और एग्जॉस्ट चालू रखें क्योंकि कुकिंग के दौरान पीएम2.5 का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। घर में अगरबत्ती, मोमबत्ती जलाने से बचें क्योंकि ये भी हानिकारक कण छोड़ती हैं। घर में नमी, धूल और पानी का संतुलन बनाए रखें ताकि फफूंदी न लगे, जो दिमाग और फेफड़ों दोनों के लिए खतरनाक है।
घर पर कैसे सुरक्षित रहें?
विशेष रूप से नवजात शिशु, बुजुर्ग और बीमार लोगों को प्रदूषण के दिनों में घर के अंदर रखना चाहिए। इनके लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना जरूरी है। बुजुर्गों को बाहर जाने से बचाएं क्योंकि प्रदूषण का असर उनकी सेहत पर बहुत बुरा पड़ सकता है। यदि घर में कोई बीमार हो तो उसे भी प्रदूषित हवा से बचाना आवश्यक है।
प्रदूषण का दिमाग पर प्रभाव और चेतावनी के संकेत
वायु प्रदूषण का हमारे मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित हवा के अल्ट्राफाइन कण रक्तप्रवाह के माध्यम से दिमाग तक पहुंचते हैं और तंत्रिका तंत्र में सूजन पैदा करते हैं। इससे सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, माइग्रेन और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, प्रदूषण स्मृति, ध्यान और बुद्धिमत्ता को भी कम करता है, जो बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा दिखाई देता है। तनाव हार्मोन बढ़ने से चिंता, मूड स्विंग और नींद की समस्याएं होती हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप सिरदर्द, चक्कर, भूख न लगना, ध्यान न लगना या नींद न आना जैसे लक्षण महसूस करें तो इसे प्रदूषण से जोड़कर देखें।





